लेखनी कहानी -28-Nov-2022तुम मेरा चाँद हो
शीर्षक :- तुम मेरा चाँद हो
शालिनी की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ एक सीधे साधे लड़के सुरेश से की जाती है जिसके घर मे एक मां के अलावा और कोई नहीं है। दहेज मे लड़के को बहुत सारे उपहार और पैसे मिले होते हैं ।
शालिनी महेश से बेहद प्यार करती थी और महेश शालिनी से । शालिनी शादी के बाद अपनी ससुराल आगयी ।
जब सुहागरात की रात सुरेश उसके कमरे मे आता है तब वह कहती है कि पत्नी की मर्जी के खिलाफ कुछ भी करना बलात्कार होता है।
सुरेश:- आपको इतनी लम्बी और गहरी जाने की कोई जरूरत नहीं है। . हम सिर्फ आपको शुभ रात्रि कहने आये थे कहकर कमरे से निकल जाता है। लड़की मन मारकर रह जाती है क्योंकि लड़की चाहती थी कीझगड़ा हो ताकी मैं इस गंवार से पीछा छुडा सकूँ । थी तो दुल्हन मगर घर का कोई भी काम नहीं करती। बस दिनभर online रहती और न जाने किस किस से बातें करती।
उधर सुरेश की माँ बिना शिकायत के दिन भर चुल्हा चौका से लेकर घर का सारा काम करती मगर हर पल अपने होंठों पर मुस्कुराहट लेके फिरती । सुरेश एक कम्पनी मे छोटी सी जाब करता था। वह बेहद ही मेहनती और इमानदारथा। करीब महीने भर बीत गये मगर पति पत्नी अब तक साथ नहीं सोये। सुरेश बहुत शांत स्वभाव वाला था इसलिए वह ज्यादा बातें नहीं करता था, बस खाने के वक्त अपनी पत्नी से पूछ लेता था कि.कहाँ खाओगी..अपने कमरे मे या हमारे साथ। और सोने से पहले डायरी लिखने की आदत थी जो वह हर रात को लिखता था।
शालिनी के पास एक स्कूटी थी वह हर रोज बाहर जाती थी पति के ओफीस जाने के बाद और पति के वापस लौटते ही आ जाती थी। छुट्टी का दिन था सुरेश भी घर पे ही था तो शालिनी ने अच्छे भले खाने को भी गंदा कहके माँ को अपशब्द बोलके खाना फेंक दिया। इसलिए सुरेश ने अपनी पत्नी पर हाथ उठा दिया मगर माँ अपने बेटे को बहुत डांटने लगी।
शालिनी को बहाना चाहिए था झगड़े का जो उसे मिल गया था, वह पैर पटकती हुई स्कूटी लेके निकल गयी। शालिनी जो रोज घर से बाहर जाती थी वह अपने प्यार से मिलने जाती थी, शालिनी भले टूटकर चाहती थी महेश को मगर उसने कभी भी हद पार नही की थी।
" अब तो एक पल भी उस घर मे नहीं रहना है मुझे । आज गंवार ने मुझपर हाथ उठाके अच्छा नही किया ।"
महेश - अरे तुमसे तो मैं कब से कहता हूँ की भाग चलो मेरे
साथ कहीं दूर मगर तुम हो की आज कल आज कल पे लगी रहती हो।
शालिनी - शादी के दिन मैं आई थी तो तुम्हारे पास।।तुम ही ने तो लौटाया था मुझे ।
महेश :-.मैंनेतो कहा था कि कुछ पैसे और गहने साथ ले लो तुम तो खाली हाथ आई थी। एक नयी जगह मे जिंदगी नये सिरे से शुरू करने के लिए पैसे तो चाहिए न?
शालिनी - तुम्हारे और मेरे प्यार के बारे मे जानकर मेरे घरवालो ने बैंक के पासबुक एटीएम और मेरे गहने तक रखलिये थे। तो मैं क्या लाती अपने साथ । हम दोनों मेहनत करके कमा भी तो सकते थे।
महेश:-खाली हाथ भागते तो ये इश्क का भूत दो दिन मे उतर जाता समझी?और जब भी तुम्हें छुना चाहता हूँ बहुत नखरे है तुम्हारे।
बस कहती हो शादी के बाद ।
शालिनी - हाँ शादी के बाद ही अच्छा होता है ये सब और सब तुम्हारा तो है। मैं आज भी एक कुँवारी लड़की हूँ ।शादी करके भी आज तक उस गंवार के साथ सो न सकी क्योंकि तुम्हें ही अपना पति मान चुकी हूँ बस तुम्हारे नाम की सिंदूर लगानी बाकी है। बस वह लगा दो सबकुछ तुम अपनी मर्जी से करना।
महेश - ठीक है मैं तैयार हूँ । मगर इस बार कुछ पैसे जरूर साथ लेके आना, मत सोचना हम दौलत से प्यार करते हैं । हम सिर्फ तुमसे प्यार करते है बस कुछ छोटी मोटी बिजनेस के लिए पैसे चाहिए ।
शालिनी - उस गंवार के पास कहा होगा पैसा, मेरे बाप से 3 लाख रूपया उपर से मारूती कार ली है।
शालिनी घर आके फिर से लड़ाई करती है। मगर अफसोस वह अकेली चिल्लाती रहती है उससे लड़ने वाला कोई नही था।
शालिनी अपने पति को बोल देती है की मुझे खाना नहीं चाहिए मैंने बाहर खा लिया है इसलिए मुझे कोई परेशान न करे इतना कहके दरवाजा बंद करके अंदर आती है।
सुबह सुरेश आफिस जाने के लिए तैयार होजाता है परन्तु शालिनी नहीं जागती है । आफिस जाने से पहले वह शालिनी से बोला है कि वह आलमारी से मेरी डायरी दे दो फिर सो जाना। हम परेशान नहीं करेंगे ।
शालिनी दरवाजा खोले बिना कहती है की चाभीयां देदो अलमारी की।
सुरेश - तुम्हारे बिस्तर के पैरों तले बैड के नीचे रखी है।
शालिनी दरवाजा नहीं खोलती बल्कि जोर से गाना सुनने लगती है। बाहर सुरेश कुछ देर दरवाजा पीटता रहा शालिनी ने बड़े जोर से गाना बजा रखा था। फिर वह आलमारी खोलके देखती है जो उसने पहली बार खोली थी क्योंकि वह अपना समान अलग आलमारी मे रखती थी।
अन्त में सुरेश आफिस चलागया।
आलमारी खोलते ही हैरान रह जाती है। आलमारी मे उसके अपने पासबुक एटीएम कार्ड थे जो उसके घरवाले ने छीन के रखे थे
खोलके चेक किया तो उसमें वह पैसे भी एड थे जो दहेज मे सुरेश को मिले थे। और बहुत सारे गहने भी थे।
शालिनी डायरी पढ़ने लगी
उसमें लिखा था, जब आपके पापा का एक्सीडैन्ट हुआ था तब मैने ही उनको अस्पताल पहुचाया था और अपना खूँन भी दिया था। वह मूझे अपना बेटे जैसा मानने लगे थे।
कुछ दिन बाद आपके पापा हमारे घर आये हमारे तुम्हारे रिश्ते की बात लेकर । उन्होंने आपकी हर बात बताई हमें की आप एक लड़के से बेहद प्यार करती हो। आपके पापा आपकी खुशी चाहते थे इसलिए वह पहले लड़के को जानना चाहते थे।
आखिरआपके पापा ने खोजकर के पता लगाया की वह लड़का बहुत सी लड़की को धोखा दे चुका है। और पहली शादी भी हो चुकी है पर आपको बता न सके क्योंकि उन्हें पता था की ये जो इश्क अन्धा होता है।
मै एक बाप के मुँह से एक बेटी की ऐसी कहानी सुनकर अचम्भित हो गया। हर बाप यंहा तक शायद ही सोचे। मुझे यकीन हो गया था की एक अच्छा पति होने का सम्मान मिले न मिले मगर एक दामाद होने की इज्जत मैं हमेशा पा सकता हूँ।
मुझे दहेज से सख्त नफरत थी क्यौकि मै अपनी बहिन व पापा को खो चुका था इसलिए मैने दहेज मे मिले सारे पैसे तुम्हारे एकाउण्ट मे जमा कर दिए और तुम्हारे घर से मिली गाड़ी आज भी तुम्हारे घर पे है जो मैंने इसलिए भेजी ताकी जब तुम्हें मुझसे प्यार हो जाये तो साथ चलेंगे कही दूर घूमने।
इस डायरी में ही तलाक की पेपर है जंहा मैंने पहले ही साईन कर दिया है । जब तुम्हें लगे कीअब इस गंवार के साथ नही रखना है तो साईन करके कहीं भी अपनी सारी चीजे लेके जा सकती हो।
शालिनी डायरी पढ़कर परेशान होगयी उधर महेश का फौन आरहा था उसने फौन साइलैन्ट पर कर दिया था।।
डायरी में आगे लिखा था, मैंने तुम्हें इसलिए मारा क्योंकि आपने माँको गाली दी, और जो बेटा खुद के आगे मा की बेइज्जती होते सहन कर जाये...फिर वह बेटा कैसा ।कल आपके भी बच्चे होंगे । चाहे किसी के साथ भी हो, तब महसूस होगी माँ की महानता और प्यार।
आपको दुल्हन बनाके हमसफर बनाने लाया हूँ जबरजस्ती करने नहीं। जब प्यार हो जाये तो भरपूर वसूल कर लूँगा आपसे.आपके हर गुस्ताखी का बदला हम शिद्दत से लेंगे हम आपसे .गर आप मेरी हुई तो बेपनाह मोहब्बत करके किसी और की हुई तो आपके हक मे।
अब शालिनी की आँखौ से आँसू बह रहे थे अब उसने श्रंगार किया और अपना कमरा स्वयं सजाया सासुमाँ के साथ पकवान बनाये सुरेश के आने की प्रतीक्षा करने लगी आज उसकी सास भी उसका यह रूप देखकर खुश थी।
शाम को सुरेश ने अपने घर को इस तरह सजा हुआ देखा और रसोई से पकवानौ की खुशवू आई तो वह समझ गया कि आज कुछ बदल गया है।
आज शालिनी ने उसका स्वागत किया और तीनौ ने एक साथ खाना खाया। रात को शालिनी ने सुरेश को अपना सर्वस्व सौप दिया महेश के फौन का जबाब देते हुए बोली," यहाँ कोई शालिनी नहीं रहती है इस नम्बर पर फिर फौन किया तो पुलिस में शिकायत दर्ज करवादूँगी। इतना कहकर सुरेश को चूमने लगी। और बोली तुम मेरा चाँद हो मै तुम्हारी चाँदनी हेँ।"
आज सूरेश भी बहूत खूश था।
दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौर
Gunjan Kamal
06-Dec-2022 02:50 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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